कला अध्ययन के स्रोत का अभिप्राय उन साधनों से हैं, जो प्राचीन कला के इतिहास को जानने में सहायक हों। भारतीय चित्रकला के अध्ययन स्त्रोत निम्न श्रेणियों में विभक्त किये जा सकते हैं-

ऐतिहासिक ग्रन्थ (Historical Books) : वर्तमान में कुछ ऐसे ग्रन्थ प्राप्त हैं, जिनमें प्राचीन समय की कला विषयक जानकारी मिलती है। राजा-महाराजाओं के राज्यकाल में घटित घटनाओं का वर्णन भी इन ग्रंथों से मिलता है।

शिलालेख (Inscriptions) शिलाओं पर अंकित प्राचीन लेखों से कला, धर्म, एवं वास्तु निर्माण के विषय में जानकारी होती है। बादामी, अजन्ता, बाघ आदि गुफाओं से शिलालेख प्राप्त हुए हैं, जिनसे इनके निर्माण एवं कला शैलियों के विषय में जानकारी मिलती है। महाराजा अशोक द्वारा खुदवाये अनेक धर्मलेख शिलाओं पर प्राप्त हैं।

समुद्रगुप्त का लेख इलाहाबाद के दुर्ग में प्राप्त है, जिससे मौर्यकालीन कला के विषय में जानकारी मिलती है।

प्राचीन खण्डहर (Old Ruins): उत्खनन के पश्चात् प्राचीन समय में ऐतिहासिक, धार्मिक स्थल, स्मारक, मंदिर तथा भवनों से प्राप्त चित्रों तथा मूर्तियों के विषय में जानकारी मिलती है। अजन्ता, एलोरा, बादामी, सारनाथ आदि जगहों में खुदाई एवं सफाई के बाद ही कलाकृतियों के विषय में जानकारी मिली।

मोहरें तथा मुद्राएँ (Seals and Coins): प्राचीन काल में प्रचलित कला के विषय में मोहरों तथा मुद्राओं से जानकारी मिली है। मोहनजोदड़ो और हड़प्या से प्राप्त मोहरों पर अंकित पशु आकृतियों से उस समय की उन्नत मूर्तिकला का अनुमान लगाया जा सकता है। इसी प्रकार जहाँगीरकालीन एवं मौर्यकालीन काल से प्राप्त मुद्राओं से उस समय प्रचलित कला- शैलियों का परिचय प्राप्त होता है।

यात्रियों के वृत्तान्त (Accounts of Travellers) भारत में समय-समय पर अनेक विदेशी यात्रियों ने भारत की यात्रा की तथा उन्होंने यहाँ की कलाकृतियों का अवलोकन कर उनके विषय में विवरण लिखे। उदाहरण के लिए, चन्द्रगुप्त मौर्य के समय की कलाकृतियों का वृत्तान्त विदेशी यात्री ‘मैगस्थनीज’ ने दिया है। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के समय का वृत्तान्त ‘फाह्यान’ ने लिखा है। 16वीं शताब्दी में तिब्बत के इतिहासकार ‘लामा ‘तारानाथ’ ने भारत में बौद्ध-स्थलों का भ्रमण किया था। उनके द्वारा कला के विषय में लिखे पर्याप्त विवरण मिलते हैं।

बादशाहों द्वारा लिखी आत्मकथाएँ (Autobiography): मुगल बादशाहों द्वारा लिखित आत्मकथाओं से उस समय में प्रचलित कला, कलाकार, स्थापत्य एवं कलाकृतियों के विषय में जानकारी मिलती है। बाबर द्वारा लिखित ‘वाकयात-ए-बाबरी’, जहाँगीर द्वारा लिखी ‘तुजुक ए-जहाँगीरी’ और अबुल फजल द्वारा लिखी ‘आईन-ए-अकबरी’ के द्वारा चित्रकला संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। उपर्युक्त स्रोतों के आधार पर भी भारतीय चित्रकला के विषय में जानकारी एकत्र की गई है। साथ ही प्रत्यक्ष में प्राप्त एवं संरक्षित कलाकृतियों के विषय में जानकारी लेकर उसे आगामी पृष्ठों में प्रस्तुत किया जा रहा है।

 

 

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